नवरात्रि में कलश स्थापना करते समय जौ जिन्हे ज्वारे भी कहा जाता है, बोई जाती हैं, सृष्टि के निर्माण के बाद सबसे पहली फसल जौ ही थी इसलिए इसे पूर्ण फसल माना जाता है।
नवरात्रि में कलश स्थापना के समय कलश के नीचे जौ (ज्वारे) को उगाया जाता है। जौ को सुख-समृद्धि और संपन्नता का प्रतीक माना जाता है, तेजी और घनत्व से बढ़ती जौ सुख- संपन्नता का प्रतीक है।
श्रद्धालु पूजा सामग्री में एक मिट्टी के पात्र में ज्वार बोते हैं, जिसमें रोजाना पानी देना होता है।
जौ अगर नौ दिनों तक हरे-भरे रूप में फसल की तरह बढ़ जाएं तो यह शुभ होता है, ऐसा होने से पूजा सिद्ध हुई मानी जाती है और यह घर में आने वाली सुख-समृद्धि का प्रतीक है।
नवरात्र के अंतिम दिन हवन के बाद उगे हुए जौ को बहते जल में प्रवाहित किया जाता है, इस जवारे को अपने अन्न भंडार में सहेजकर रखना भी शुभ है।