थोड़ा रिसर्च कर लो तो पता चलेगा कि जम्मू कश्मीर के रेवेन्यू में सबसे बड़ा हाथ वैष्णो देवी का होता है। केदारनाथ, बद्रीनाथ, वृंदावन, बनारस, तिरुमला जैसे जगह के रोजगार का मुख्य केंद्र वहां स्थित देवालय ही है।
फूल-पत्ती, माला, प्रसाद को बेचकर जहाँ सैकड़ों अत्यंत गरीब लोग अपने परिवारों की जीविका चलाते हैं वही देश-विदेश के लाखों दर्शनार्थियों के आने से उस क्षेत्र के सभी हजारों छोटे-बड़े दुकानों की अच्छी बिक्री होती हैं, पर्यटन तथा होटल व्यवसाय से जुड़े हजारों परिवारों की जीविका बढ़ती हैं और रोजगार का सृजन होता हैं। साथ ही सरकार का भी रेवेन्यु बढ़ता हैं।
मंदिर सिर्फ रोज़गार ही नहीं देते अपितु आम लोगों के सेवा हेतु मंदिर ट्रस्ट विद्यालय, अस्पताल, वृद्धाश्रम, अनाथालय का भी निर्माण करवाते है, जिससे फायदा आम जनमानस को होता है।
आइए बताते हैं भारत के मंदिर करोड़ो लोगों को रोजगार कैसे देते है।
- धार्मिक पुस्तक बेचने वालो को और उन्हें छापने वालों को रोजगार देते हैं।
- माला बेचने वालों को घंटी-शंख और पूजा का सामान बेचने वालों को रोजगार देते हैं।
- फूल वालों को माला बनाने और किसानों को रोजगार देते हैं।
- मूर्तियां और फोटो बनाने और बेचने वालो को रोजगार देते हैं।
- मंदिर प्रसाद बनाने और बेचने वालों को रोजगार देते हैं।
- कांवड़ बनाने-बेचने वालों को भी रोजगार देते हैं।
- रिक्शे वाले गरीब लोग जो कि धार्मिक स्थल तक श्रद्धालुओं को पहुंचाते हैं उन रिक्शा और आटो चालकों को रोजगार देते हैं।
- लाखों गरीब पुजारियों को भी रोजगार देते हैं।
- रेलवे की अर्थव्यवस्था का १८% हिस्सा मंदिरों से चलता है।
- मंदिरों के किनारे जो गरीबों की छोटी-छोटी दुकानें होती है उन्हें भी रोजगार मिलता है।
- मंदिरों के कारण अंगूठी-रत्न बेचने वाले गरीबों का परिवार भी चलता है।
- मंदिरों के कारण दिया बनानें और कलश बनाने वालों को भी तो रोजगार मिलता है।
- मंदिरों से उन ६५,००० खच्चर वालों को रोजगार मिलता है जो कि श्रद्धालुओं को दुर्गम पहाड़ों पर प्रभु के द्वार तक ले जाते हैं।
- भारत में दो लाख से अधिक जो भी होटल हैं और धर्मशालाएं हैं उनमें रहनें वाले लोगों को मंदिर ही तो रोजगार देते हैं।
- तिलक बनाने वाले- नारियल और सिंदूर आदि बेचनें वालों को भी ये मंदिर रोजगार देते हैं।
- गुड-चना बनाने वालों को भी मंदिर रोजगार देते हैं।
- मंदिरों के कारण लाखों अपंग और भिखारियों और अनाथ बच्चों को रोजी-रोटी मिलती है।
- मंदिरों के कारण लाखों वानरों की रक्षा होती है और सांपों की हत्या होने से बचती है।
- मंदिरों के कारण ही हिंदू धर्म में पीपल-बरगद -पिलखन- आदि वृक्षों की रक्षा होती है।
- मंदिर के कारण जो हजारों मेले हर वर्ष लगते हैं-एक मेलों में जो चरखा-झूला चलानें वालों को भी तो रोजगार मिलता है।
- मंदिरों के कारण लाखों टूरिस्ट मंदिरों में घूमतें हैं और छोटे-छोटे चाय-पकौडे-टिक्की बेचने वाले सभी गरीबों का जीवन यापन भी तो चलता है।
सनातन धर्म उन करोडों लोगों को रोजगार देता है जो गरीब हैं। इनमें केवल पंडित ही नही, हर धर्म, हर जाति के जो ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं और जिन के पास धन-जमीन और खेती नहीं है जो बेसहारा हैं जिनका कोई नहीं, उनके राम है। उनके श्याम है और उनके महादेव है।
बाकी सरकार के विरोध के लिए 1000 अन्य मुद्दे हैं, उन पर विरोध कीजिए, शायद लोगों से समर्थन भी मिलेगा पर हर बात की आड़ में मंदिरों और इष्ट देवों पर कटाक्ष करना बंद करिए।