संस्कृत को देववाणी कहा गया है। प्राचीन समय में हमारे महान पूर्वजों ने संस्कृत भाषा में कई अद्भुत रचनाएँ की है। इन रचनाओं को आज की युवा पीढ़ी समय की कमी होने के कारण अध्ययन नहीं कर पाती है।
इसलिए युवा पीढ़ी को इन रचनाओं और इनके रचयिता का नाम जरूर मालूम होना चाहिए। इसलिए हमने कुछ प्रमुख रचनाओं और उनके रचनाकार के बारे में जानकारी एकत्रित की है।
वाल्मीकि – लौकिक संस्कृत के आदि कवि। ‘रामायण’ के रचयिता, पूर्व नाम रत्नाकर।
व्यास – ऋषि पराशर के पुत्र। ‘महाभारत’ के रचयिता।
कालिदास – संस्कृत के सर्वश्रेष्ठ कवि। अभिज्ञान शाकुंतलम्, रघुवंश महाकाव्यम्, मेघदूतम् आदि के रचयिता।
विष्णु शर्मा – प्रसिद्ध पंचतंत्र के रचयिता।
पाणिनी – संस्कृत के व्याकरण ग्रन्थ ‘अष्टाध्यायी’ के रचयिता।
भारवि – ‘किरातार्जुनीयम्’ के रचनाकार।
भास – ‘स्वप्नवासवदत्तम्’ नामक संस्कृत नाटक के रचनाकार।
भवभूति– ‘उत्तररामचरितम्’ नामक नाटक के रचयिता।
शूद्रक -‘मृच्छकटिकम्’ नामक नाटक के नाटककार।
चरक – आयुर्वेद के आचार्य। इनकी वैद्यक शास्त्र पर ‘चरक संहिता’ नामक पुस्तक प्रसिद्ध है।
सुश्रुत – वह शल्य चिकित्सा (सर्जरी) के जनक थे। इनकी पुस्तक ‘सुश्रुत संहिता’ वैद्यक के क्षेत्र में अद्वितीय है।
भावमिश्र – इनकी पुस्तक ‘भाव प्रकाश’ आयुर्वेद विषय पर एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है।
भास्कराचार्य – प्रसिद्ध गणितज्ञ। न्यूटन से पूर्व ही उन्होंने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया था कि पृथ्वी में आकर्षण शक्ति है। ‘लीलावती’ नामक गणित के ग्रन्थ लेखक।
आर्यभट्ट – इन्होंने डेढ़ हजार वर्ष पूर्व ही सिद्ध कर दिया था कि सूर्य पृथ्वी का चक्कर नहीं लगाता अपितु पृथ्वी ही सूर्य की परिक्रमा करती है।
कल्हण – कश्मीर के शासकों के इतिहास की पुस्तक ‘राजतरंगिणी’ के लेखक।
कुमारिल भट्ट – ‘मीमांसा’ नामक दर्शन की शाखा के प्रतिपादक।
पतंजलि – ‘योगसूत्र’ के रचनाकार।
शंकराचार्य – वेदांत सूत्रों के भाष्यकार। अद्वैत वेदांत के प्रतिपादक तथा हिन्दुत्व के उद्धारक।
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