कृष्ण ने गीता में जो कहा है, वह न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम के कप्तान केन विलियम्सन बहुत अच्छे से समझते हैं, लेकिन हम नहीं समझ पाए!

2023 के वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया ने पूरे भारत के सपने को तोड़कर 2023 का वर्ल्ड कप अपने नाम कर लिया। भारत और भारतीय टीम के खिलाडियों की आँखों से आंसू बरस रहे थे।

लेकिन इस वर्ल्ड कप में एक खिलाड़ी ऐसा भी था जिसको देखकर भगवान श्री कृष्ण के गीता में कही गई उस बात का मतलब समझ आया जिसमें श्री-कृष्ण अनासक्त भाव से कर्म करने की बात कहते हैं।

अब यह अनासक्त भाव क्या है, पहले इसको समझ लेते हैं। दरअसल श्री कृष्ण कहते हैं कि किसी भी काम को करने से पहले फल की चिंता करना, उस काम का परिणाम अपनी तरफ आने वाले पर बहुत खुश होना और उसका परिणाम अपने ख़िलाफ़ आने पर बहुत दुखी होना ही हमारी उस काम में आसक्ति है।

और अनासक्त भाव है उस काम को न्यूट्रल होकर करने से है और इसको हम 2023 के वर्ल्ड कप के उदाहरण से समझ सकते हैं – भारत में फाइनल में हार से हर आदमी दुखी था क्योंकि हम हमारी जीत के प्रति इतने आसक्त थे कि हम हर हाल में जीतेंगे ही।

लेकिन जब हारे तो कर्म के प्रति मोह की वजह से आंसू फूट पड़े। वहीं भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेले गए सेमी-फाइनल में न्यूजीलैंड को हारने के बाद भी टीम का कप्तान मुस्कुरा रहा था।

अब ऐसा तो था नहीं कि न्यूजीलैंड जितना नहीं चाहता था और वो टीम पहले भी इंडिया को हरा चुकी है इसलिए जीतना वो भी चाहते थे लेकिन अनासक्त भाव वही है जो न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन उस दिन मुस्कुरा कर दिखा रहे थे।

और इसी अनासक्त भाव की बात भगवान श्री-कृष्ण ने गीता में कही है, कर्म के बंधनो से मुक्त होकर भी कर्म करते रहने की बात लेकिन हम में से ज्यादा तर लोग ऐसा कर नहीं पाते हैं और उसी कर्म-बंधनों में फँसकर रह जाते हैं।

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