वास्तव में दशहरे के दिन, केवल शस्त्र पूजा नही, अपने स्वास्थ्य की पूजा भी होनी चाहिए। अपने बल की पूजा होनी चाहिए, भगवान से बल मांगने की आराधना करनी चाहिए।
आज ही के दिन परमब्रह्म ने श्रीदुर्गा रूप लेकर संघशक्ति का निर्माण किया, तथा शुम्भ निशुम्भ, मधु-कैटभ, महिसासुर आदि का अंत किया। उन्हीं परमब्रह्मा ने आज ही के दिन रामावतार लेकर रावण का भी वध किया।
श्रीदुर्गा की अष्ठभुजाओं का अर्थ ही –
- शरीर बल
- विद्या बल
- चातुर्यबल
- धन बल
- शस्त्रबल
- शौर्यबल
- मनोबल एवं
- धर्मबल का प्रतीक है।
विजयादशमी – दुनिया का एकमात्र अद्भुत त्योहार है, जिसमें वीरता एवं शौर्य की पूजा होती है
महादेवी ने इसी बल के आधार पर असुरों पर विजय पाई थी। हमें भी अपना आंकलन करना चाहिए, इन आठ बल में, कितने बल हमारे पास है, और जो बल नही है, उसे पूर्ण करने का प्रयास करना चाहिए।