13 अक्टूबर को सुबह करीब 10 बजे मालाबार देवस्वॉम बोर्ड के अधिकारियों ने पुलिस की मदद से मट्टनूर महादेव मंदिर को बल प्रयोग करके अपने कब्जे में लिया। इस जबरिया कब्जे का वहाँ उपस्थित भक्तों ने कड़ा विरोध किया।
भक्तों ने केरल की कम्युनिस्ट सरकार पर आरोप लगाया है कि वह धनाढ्य मंदिरों को टारगेट कर धन कमाने के लिए जबरन कब्ज़ा कर रही है।
मंदिर की समिति ने बताया है कि देवस्वॉम बोर्ड का यह कदम अनुचित है क्योंकि यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है।
मालाबार देवस्वॉम बोर्ड के अधिकारियों पर भक्तों ने यह भी आरोप लगाया है कि उन्होंने यह कदम बिना किसी पूर्व सूचना दिए उठाया है।
ज्ञात रहे की यह मंदिर 1970 के दशक तक बहुत ही दयनीय स्थिति में था और फिर इसका अभी तक का विकास लोकल कम्युनिटीज़ ने अपने दम पर किया है।
यह खबर अभी तक केवल अंग्रेजी मीडिया में ही कुछ स्तर तक प्रकाशित हुई है जबकि सोशल मीडिया पर 2-3 दिन बाद उठना शुरू हुई है। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर अंशुल सक्सेना ने इसे फेसबुक और ट्वीटर पर उठाया है।
क्या स्थिति है केरल में मंदिरों की? कितने देवस्वॉम बोर्ड बने है केरल में?
केरल में लगभग सभी मंदिर अलग-अलग देवस्वॉम बोर्ड के कब्जे में है। उनमें से कुछ प्रमुख देवस्वॉम बोर्ड है –
- त्रावणकोर देवस्वॉम बोर्ड
- कोचीन देवस्वॉम बोर्ड
- गुरुवायुर देवस्वॉम बोर्ड
- मालाबार देवस्वॉम बोर्ड
इन सभी देवस्वॉम बोर्ड के चेयरमैन ज्यादातर रूलिंग पार्टी के नेता ही बनते है।
सरकार का कर्तव्य है कि वो अपने आपको धर्मनिरपेक्ष रखे।
विवाद केवल इसी बात पर होता है केवल हिन्दुओं के मंदिर ही आखिर सरकार के कब्जे में क्यों जाते है? क्यों किसी दूसरे रिलीजियस स्थल पर सरकार की नज़रें नहीं जाती?