आप सभी ने अपने जीवन में दान, दक्षिणा और अनुदान के बारे में बहुत बार सुना होगा और पुण्य प्राप्त करने के लिए किया भी होगा।
प्राचीन समय से हम पुण्य प्राप्त करने के लिए दान करते आये है और हर धार्मिक अनुष्ठान के बाद ब्राह्मण को दक्षिणा देना धर्म और कर्म माना गया है।
तो आइये समझते है दान, दक्षिणा और अनुदान के बारे में सरल भाषा में।
क्या होता है दान?
दान किसी भी योग्य पुरूष को दी गयी कोई भी राशि, वस्तु- धन, धान्य, स्वर्ण आदि मुद्राओं को कहते हैं जिसे वह व्यक्ति धार्मिक अनुष्ठान सहित परमार्थ के लिए प्रयोग करे।
क्या होती है दक्षिणा?
दक्षिणा किसी भी धार्मिक, आध्यात्मिक, शैक्षणिक आदि कार्य के निमित्त दी गयी एक निश्चित राशि को कहते है, जो पारिश्रमिक के निमित्त होती है।
क्या होता है अनुदान?
अनुदान किसी भी संस्था, ट्रस्ट, चैरिटी आदि को दी गयी राशि या सामग्री को कहते है। अनुदान से ये संस्थाएँ धार्मिक क्रिया कर्म करने में सक्षम बनती है।