तो आखिरकार वो दिन आ ही गया जब पुराना साल खत्म होने वाला है और नया साल आने में कुछ ही घंटों का समय बाकी है।
आज देखना बहुत बड़े हिंदुत्ववादी, राष्ट्रवादी और धर्मप्रेमी लोग भी “विदेशी नए साल” का उत्सव मनायेंगे।
तो जैसा कि आप सबको मालूम है कि यह साल हमारे भारत का नहीं है बल्कि ईसाइयत द्वारा शुरू किया गया है और पूरी दुनिया में ईसाई लोगों के वर्चस्व के कारण इस कैलेंडर को पूर्ण मान्यता मिल चुकी है।
इस कैलेंडर के मुताबिक नया साल आधी रात को और भरी कंपकपाती ठंड में मनाया जाएगा जो कि कहीं से कहीं तक भी नए साल के आने का प्राकृतिक संकेत नहीं है।
पूरी दुनिया इस अप्राकृतिक नए साल को मनाने को विवश है। क्योंकि सदियों से मनाए जाने के कारण अब यह पूरी दुनिया के व्यापार में गहराई से पैठ बना चुका है।
पूरे भारत में साल भर सभी हिंदुत्ववादी, धर्मप्रेमी और राष्ट्र प्रेमी जनता बड़े ही जोर शोर से विदेशी चीजों, सभ्यता और संस्कृति का बॉयकॉट करने की मुहिम चलाती है।
पर अंग्रेजी साल खत्म होते-होते सभी अपने अभियान को भूल जाते है।
पर गौर करने वाली बात यह है कि आज यह तथाकथित हिंदूवादी और धार्मिक जनता इस “विदेशी नए साल” को भी बड़े ही “अपने” धूमधाम तरीके से मनाएगी।
इस दिन हिंदूवादी और धार्मिक जनता छुट्टी होने के कारण बड़ी संख्या में मंदिरों में सपरिवार जाएँगे। बड़ी संख्या में व्हाट्सप्प, फेसबुक और अन्य सोशल मीडियास पर प्रायश्चित के, बधाई के और न्यू ईयर रेसोलुशन के मैसेज भेजे जायेंगे। और वो भी धार्मिक तत्त्व बरकरार रखते हुए।
वाह, मेरे देश की जनता! धन्य है तुम्हारी धर्मपरायणता!
और हिंदूवादी पोलिटिकल पार्टीस के नेताओं और कार्यकर्ताओं का तो कहना ही क्या?
जागो! मेरे धार्मिक देशवासियों! जागो!
अपना दृष्टिकोण पवित्र करो। अपना लक्ष्य साफ करो।
अपनी परम्पराओं को याद रखो।
(कटाक्ष)
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