रतलाम के एक मंदिर में बैठे हमारे पंडितजी से एक बहुत बड़ा पाप हो गया है।
भगवान् के यहाँ उस पाप की माफ़ी तो मिल सकती है पर सरकार या प्रशासन से नहीं।
कुछ दिन पहले एक भक्त ने पंडितजी को दक्षिणा दी थी और पंडितजी ने उसे अपनी जेब में रख लिया था। संयोग से एक कर्मठ और जुझारू व्यक्ति ने उस दृश्य का वीडियो बना कर प्रशासन को भेज दिया।
आखिर जो दो पैसे प्रशासन को मिलने चाहिए थे, वो पंडितजी कैसे दबा सकते है, तो प्रशासन ने भी तुरंत नोटिस जारी कर दिया।
ऊपर से तुर्रा यह की सरकार भी हिंदुत्ववादी है पर सरकार के कानों पर जूं क्यों रेंगेगी। राज्य में कोई चुनाव तो है नहीं। जहाँ दस-दस रूपए के पीछे क़त्ल हो जाते है वहाँ तो सरकार को बीस-तीस रुपए का चूना लग रहा था। तो सरकार कैसे सहन करती।
आखिर इसी पैसे से सरकार अपना जेब खर्चा निकालती है। ये पैसा तो सरकार का है और मंदिर चाहे जो भी बना ले, जाना तो उसे भी है कभी न कभी सरकारी कब्जे में।
जनता को प्रशासन से पूरी उम्मीद है कि वो सरकार के हक़ का सरकारी पैसा पंडितजी से वसूल करेगी और 10 दिनों का ब्याज अर्थदंड सहित वसूलेगी। आखिर जनता को न्याय मिले न मिले सरकार को तो मिलना ही चाहिए।
प्रशासन जिंदाबाद! सरकार जिंदाबाद! (पता नहीं यह दोनों जिं* है भी या नहीं)
अपडेट: हिंदुओ के भारी विरोध के बीच अब प्रशासन ने पंडितजी के विरुद्ध कोई भी कार्रवाई करने से इंकार कर दिया है। और इसका हम विरोध करते है। क्योंकि मंदिर सरकारी था और ऐसे ही चलता रहा तो हिंदुत्ववादी सरकार अब हिन्दू हित में काम कैसे करेगी।
(कटाक्ष और व्यंग्य)