जानिए की कसाई के हाथ गाय माता को बेचने से एक धनी परिवार का क्या हुआ?

कसाई के हाथों गौ माता को बेचने का फल

एक गाँव में एक धनी वैश्य – परिवार था। घर धन-धान्य से सम्पन्न था और कुटुम्ब में ७०-७५ लोग थे। उनके घर में बहुत सारी गायें भी थीं। उनमें से एक ऐसी गाय थी जो चरने को खोलने के समय और दूहने को उठाते समय बहुत तंग करती थी। घर के लोगों ने उसे कसाई के हाथ बेच देने का निश्चय किया।

गाँव के लोगों ने बहुत रोका और कहा कि ‘लालाजी! गाय को वापस ले लो। यह साक्षात् लक्ष्मी है। इसे कसाई के साथ मत भेजो।’

एक दिन गाँव में कसाई आया और उन लोगों ने उसके हाथ गाय बेच दी। कसाई जब गाय को खोलने गया, तब रस्सी खोलते ही वह खड़ी हो गयी और कसाई के आगे-आगे चल दी।

गाँव के लोगों ने बहुत रोका और कहा कि ‘लालाजी! गाय को वापस ले लो। यह साक्षात् लक्ष्मी है। इसे कसाई के साथ मत भेजो।’ परन्तु उन लोगों ने बात नहीं मानी। गाय को कसाई ले गया और वह काट डाली गयी।

रात को सपने में वैश्य ने देखा मानो गोमाता श्राप दे रही है – ‘तूने मेरी वास्तविकता नहीं समझकर मुझे निर्दय कसाई के हाथों बेच दिया, अतएव अब शीघ्र ही तेरा सर्वनाश हो जाएगा।’

कहना न होगा कि इसके कुछ ही दिनों बाद बड़े जोर से बाढ़ आयी और उसमें उनका तमाम अनाज बह गया। लोगों के गिरवी रखे हुए जेवर और बर्तन खत्ती में थे, वे सब-के-सब बह गये। इसके बाद ही प्लेग का प्रकोप हुआ और सात-आठ दिनों में ही स्त्री, पुरुष, बच्चे मिलाकर घर के ६० आदमी बेमौत मर गये।

इस तरह हरी-भरी धन-धान्य सम्पन्न गृहस्थी गोमाता के श्राप से कुछ ही दिनों में उजड़ गयी। जो अब तक भी नहीं सँभल सकी है।

(सच्ची घटना – परम श्रद्धेय श्रीभाईजी द्वारा संपादित गो सेवा के चमत्कार पुस्तक से)

Newsletter Updates

Enter your email address below and subscribe to our newsletter

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *