भगवा ड्रेस विवाद: साधु-संतों और जाग्रत हिंदुओ की आपत्ति के बाद बदली गई ‘रामायण एक्सप्रेस’ के वेटर्स की ड्रेस

सरकार को धर्म के बारे में हमेशा सावधानी रखनी चाहिए।

सरकार को धर्म के बारे में हमेशा सावधानी रखने की बहुत ही ज्यादा जरूरत इसलिए है क्योंकि धर्म बहुत ही नाजुक विषय है।

मानव सभ्यता की शुरुवात से लेकर तो आज के आधुनिक युग तक मानव जाति को अपने अस्तित्व को बनाने वाले को ढूंढने की चाह बनी रहती है और सही मनुष्य हमेशा परम शांति की तलाश में लगातार रहता ही है।

हिंदू धर्म पृथ्वी पर उपलब्ध सबसे प्राचीन धर्म है और पूरी दुनिया में इसका केंद्र हमारा ही देश है और यही हमारा सौभाग्य भी है।

पर हमारे देश की सरकार हमेशा धर्म के मामले में थोड़ा बहुत प्रयोग करना नहीं छोड़ती जिसके परिणाम स्वरूप धार्मिक भावनाएं आहत होती रहती है।

ऐसा ही एक मामला अभी रामायण एक्सप्रेस के वेटर्स की भगवा पोशाक को लेकर उठा था।

सरकार ने रामायण काल के स्थानों को भ्रमण करवाने के ‘रामायण एक्सप्रेस’ शुरू की।

और अनूठा प्रयोग करने के लिहाज से रामायण एक्सप्रेस के वेटर्स को साधु संतों जैसी पोशाक पहनाई गई थी जो बिलकुल साधु संतों जैसी ही लग रही थी।

भगवा रंग हमारे धर्म में बहुत ही खास महत्व रखता है। सरकारी अधिकारियों का उद्देश्य ट्रेन के वेटर्स को भले ही आकर्षक बनाने का रहा हो पर उन्हें कोई भी कदम भविष्य को देखते हुए ही उठाने चाहिए जो वे कभी करते नहीं।

इसलिए विवाद होना था और हुआ भी। और सरकार को साधु-संतों और जाग्रत हिंदुओ की आपत्ति के बाद ‘रामायण एक्सप्रेस’ के वेटर्स की ड्रेस बदलना पड़ी।

इसलिए सरकारी अधिकारियों को और सरकार को हमेशा इन नाजुक और संवेदनशील मसलों को पैदा होने ही नहीं देना चाहिए।

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