कन्वर्शन अर्थात धर्मांतरण, भारत में एक बहुत ही पुराना रोग है जो अब इंफॉर्मेशन वारफेयर का भी हिस्सा बन चुका है। आजकल कन्वर्शन का कार्य केवल ऑफलाइन ही नहीं बल्कि ऑनलाइन तरीके से भी किया जा रहा है।
कन्वर्शन का सबसे आसान शिकार वो लोग होते है जो इकोनॉमिकल रूप से कमजोर होते है। मतलब गरीब लोग। उसके बाद आते है वो लोग जो कन्वर्ट होकर अपना कोई स्वार्थ सिद्ध करते है।
हिंदू समाज की तादाद इसलिए कम हो रही है क्योंकि हिंदुओ के अंदर “धार्मिक प्रतिस्पर्धा” की भावना कभी थी ही नहीं।
जो स्वार्थी होते है उन्हें उनके मनपसंद लोभ की वस्तु या पद देकर आसानी से कन्वर्ट किया जा सकता है लेकिन ज्यादातर गरीबों को कन्वर्ट बहुत ही गंदे तरीके से किया जाता है। गंदा इसलिए क्योंकि इस पूरी प्रोसेस में उनकी भावनाओं और विचारों के साथ खेला जाता है और हिंदू धर्म के प्रति विषाक्त विचार भर दिए जाते है। इस प्रकार वो व्यक्ति कन्वर्ट होकर हिंदू धर्म का कट्टर दुश्मन बन जाता है।
इसलिए हमारा लक्ष्य हमारे आस पास ऐसे लोग जो इस “कन्वर्शन खेल” का आसानी से शिकार बन सकते है, उन्हें कैसे रोके, इस पर होना चाहिए।
इसका सबसे आसान तरीका यह है कि जो भी उपेक्षित या असहाय लोग है, जो दो वक्त की रोटी का जुगाड़ नहीं कर पाते, वे त्यौहारों को सम्मानजनक तरीके से मना सकें, हम इसमें उनकी सहायता करें।
इसके लिए ज्यादा खर्चा भी नहीं करना होगा। इसके लिए बस हम अपने घर से ही थोड़ी सी वस्तु निकालकर काफी सहायता कर सकते है। आप में से काफी लोग इसी प्रकार से बिलकुल सहायता करते होंगे पर ध्यान रखिये हमारा उद्देश्य ऐसे लोगों की सहायता करना है जिन पर कन्वर्शन का खेल खेलने वाले डोरे डाल रहे है। जो घर-घर माँगने जाते है उनकी बात इस लेख में बिलकुल भी नहीं की जा रही है।
ऐसे लोगों की पहचान निकालने में आपको थोड़ा कष्ट अवश्य होगा। पर धर्म के लिए इतना तो करना पड़ेगा ही। क्योंकि कन्वर्शन करने वालों का मकसद अपनी तादाद बढ़ाना ही नहीं बल्कि पुण्य कमाना भी होता है। वे लोग पुण्य कमाने के पीछे बहुत ही पागल होते है। और हमारी तादाद इसलिए कम हो रही है क्योंकि हमारे अंदर “धार्मिक प्रतिस्पर्धा” की भावना कभी थी ही नहीं। हम धर्म के मामले में बहुत ही आलसी होते है। खाली सुबह अगरबत्ती लगाकर हम धार्मिक बन जाते है और त्यौहारों के समय मंदिर का एक चक्कर लगा लेते है।
तो इस दिवाली, ऐसे असली गरीब लोग जिनके आस पास कन्वर्ट करने वाले मंडरा रहे है या मंडरा सकते है, आपकी एक सहायता, उनकी अपने धर्म के प्रति श्रद्धा को और मजबूत कर सकती है।
इस दिवाली थोड़ा सा आटा, खाने का और दिए में डालने का तेल, 4-5 दिए, लक्ष्मी माताजी की तस्वीर और पूजा का सामान और पटाखे की एक लड़ी भेंट जरूर दीजिए। इससे वो अपने धर्म का निर्वाह अच्छे से कर पाएँगे। धर्म का निर्वाह कर पाने से उनके मन को शांति मिलेगी और श्रद्धा मजबूत होगी और इस प्रकार कोई भी व्यक्ति कन्वर्ट करने वालों के चंगुल में कभी नहीं फँसेगा।
जो कोई काम कर सकता है उसे आप काम दिलवाने में मदद कर सकते है।
जो कोई अशक्त या बीमार हो उसे आप सरकारी हॉस्पिटल (सरकार फ्री में सभी वर्गों का होमियोपैथी और आयुर्वेदिक इलाज़ भी करती है) में दिखा दीजिए।
अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी योजना के बारे में नहीं जानता है तो उसे आप उस योजना के बारे में बता सकते है।
बच्चों को एक कॉपी, एक पेन या पेंसिल और रबर दीजिये और बच्चों के लिए कोई धार्मिक कहानी वाली पुस्तक जरूर दीजिये ताकि वे भी धार्मिक बने। कोई निकट के गायत्री मंदिर या गीताप्रेस स्टॉल से आप कोई भी पुस्तक खरीद सकते है।
एक धार्मिक ग्रंथ जरूर भेंट कीजिये। जैसे गीताजी, या जो भी उस परिवार की जरुरत हो।
जो भी पकवान आप परिचितों को दिवाली के उपलक्ष्य में देते है, उसी प्रकार एक परिवार को भी जरूर दीजिए।
और हाँ, आपको पुण्य भी मिलेगा और धर्म की रक्षा होगी और फिर बदले में धर्म आपकी भी रक्षा करेगा।
धर्म मतलब सच्चाई, सद्कार्य।