जानिए कि राष्ट्रवादी सुमित ने गरीब आदिवासी बूढ़े-बुजुर्गों के लिए ऐसा क्या किया जिसकी चर्चा जरूर होनी चाहिए

जो सुमित भाई ने किया है, अगर वैसा गाँव-गाँव और शहर-शहर होने लगे तो धर्मांतरण पूर्ण तरीके से रूक सकता है।

हमारे देश में ज्यादातर जनता देश के गाँवो में निवास करती है और उनमें से भी ज्यादातर लोग गरीबी में जीवन यापन कर रहे है। समय-समय पर देश के विभिन्न मंचों से इन्हीं गरीबों और आदिवासियों के मुद्दे उठाये जाते है पर हकीकत में और धरातल पर केवल कुछ ही लोग काम करते है।

तो आइये, आपको हम उनमें से ही एक शख़्सियत से परिचय करवाते है। वे लोग जो वास्तविक तौर पर धर्म और कर्म कर रहे है, उन्हीं लोगों में से एक है राष्ट्रवादी सुमित। फेसबुक चलाने वाला और हिन्दू विचारधारा वाला हर एक व्यक्ति इन्हें जानता तो होगा ही। सबसे बड़ा कारण यही है कि वे अपने आसपास के लोगों में हिंदुत्व की अलख जमीनी स्तर पर जगाने का प्रयास कर रहे हैं।

धर्म की सबसे बड़ी सेवा, धर्म की रक्षा करके ही की जा सकती है।

वे लोगों को गीता बाँटते है। मंदिर बनवाते है। हिन्दू धर्म को फैलाने की तन-मन-धन से पूरी कोशिश करते है। और सबसे बड़ी बात यही है कि जो कोई भी भाई-बहन इनसे किसी भी प्रकार की मदद माँगते है, तो वे निःसंकोच उनकी पूर्ण हृदय से मदद करते है।

धर्म की सबसे बड़ी सेवा, धर्म की रक्षा करके ही की जा सकती है। और इसमें भी सबसे आगे है राष्ट्रवादी सुमित भाई। वे धर्म की रक्षा करने के लिए अपनी पूरी ताकत से धर्मांतरण रोकने की कोशिश करते है। और धर्मांतरण रुकता है पीड़ितों की सेवा करके, उनके दुःख दर्द जानकर और उसमें सहभागी बनकर।

और धर्म को बचाने के इसी प्रयास में सुमित भाई ने उन गरीब आदिवासियों की मदद करने की ठानी है, जो गरीबी के कारण अपने लिए अच्छी क्वालिटी की चप्पल और जूते नहीं खरीद पाते। और इसी कारण वे ठंड हो या गर्मी या फिर बारिश, नंगे पैर ही चलने को मजबूर होते है और पीड़ा सहते है।

व्यक्ति जब तक हिंदू होता है, वो भोला-भाला होता है।

और इसी मजबूरी का फायदा उठाते है धर्मांतरण करने वाले। वे लोग मजबूर लोगों को तरह-तरह के लुभावने हथकंडो से अपने धर्म में खींचने का प्रयास करते है। क्योंकि अगर आप किसी की थोड़ी सी भी मदद कर देते है, तो वो व्यक्ति थोड़ा सा आपके वश में आने लगता है। और धीरे-धीरे वे अपने नापाक मंसूबो में कामयाब भी हो जाते है। क्योंकि व्यक्ति जब तक हिंदू होता है, वो भोला-भाला होता है और उसका धर्मांतरण होने के बाद वो कट्टर बन जाता है।

तो इसी की काट के लिए राष्ट्रवादी सुमित ने गरीब आदिवासी बूढ़े-बुजुर्गों के लिए ब्रांडेड चप्पल, जूते ख़रीदे।

सुमित भाई जैसे लोग धर्मांतरण करवाने वाले दुष्टों के तरीकों को अच्छे से पहचानते है। इसलिए उन्होंने आसपास के 15 गाँवो के ऐसे 60-70 जरूरतमंद लोगों की सूची तैयार की जिन्हें जूते-चप्पलों की सख्त आवश्यकता है। और उन्होंने उनके लिए अच्छे ब्रांडेड जूते-चप्पलों को वितरित करने के लिए खरीदा है। ये उनका धर्म के प्रति विश्वास और श्रद्धा ही है कि वे वो कार्य कर रहे है जो सभी जागरूक हिंदुओ को कमजोर और जरूरतमंद हिंदुओ के लिए करना चाहिए।

अब कुछ ही दिनों में सुमित भाई 60-70 जरूरतमंद लोगों के चेहरों को खुशियों से भर देंगे।

इसके साथ ही वे श्रीमद्भगवद्गीता, कम्बल भी बाँटेगे। वे जल्द ही कुछ स्थानों में मंदिर निर्माण, गुरुकुल,गौ शाला भी खोलेंगे। और साथ ही अगले महीने से एक गाँव में मंदिर का गर्भ गृह निर्माण भी शुरू करने वाले है।

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